चैतन्य देवियों की झांकियां बनीं श्रद्धा का केंद्र, प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने किया आयोजन, 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन को केंद्र पर उमड़ रहे श्रद्धालु

मुकेश अग्रवाल

पत्थलगांव। प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित चैतन्य देवियों की झांकियां लोगों की श्रद्धा का केंद्र बन गई हैं। प्रतिदिन भारी संख्या में लोगों की भीड़ चैतन्य देवियों को देखने के लिए संस्थान के रायगढ़ रोड स्थित केंद्र पहुंच रही है।

प्रजापिता ब्रम्हकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय एक अर्से से शहर के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। शहर एवं आस-पास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग संस्थान से जुड़े हुए हैं और यहां होने वाली धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल होते हैं। संस्थान के द्वारा प्रतिवर्ष अलग अलग अवसरों पर संस्थान की परंपराओं के अनुरूप कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। नवरात्र के मौके पर चैतन्य देवियों की झांकियां इनमें प्रमुख है। इसमें ब्रम्हकुमारी बहनों के द्वारा अपनी योग शक्ति के बल पर माता शक्ति के विभिन्न रूपों को धारण किया जाता है। ब्रम्हकुमारी बहनें अपनी योग शक्ति के बल पर अपने शरीर को पूरी तरह स्थिर कर लेती हैं यहां तक कि उनकी पलकें भी नहीं झपकतीं। नवरात्र के दौरान माता की प्रतिमा की स्थापना कर उनकी आराधना करना भारतीय संस्कृति की पुरातन परंपरा है। शहर एवं आस – पास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पूजा पण्डालों में माता की नयनाभिराम प्रतिमाओं की स्थापना कर उनकी पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में चैतन्य देवियों की स्थापना लोगों के लिए नवीनतम और आलौकिक अनुभव है। चैतन्य देवियों का दर्शन लाभ लेने के लिए लोगों की भारी भीड़ संस्थान के रायगढ़ रोड स्थित केंद्र पर उमड़ रही है। यहां परंपरागत ढंग से माता की आरती भी की जाती है जिसमें स्थानीय लोग श्रद्धापूर्वक शामिल होते हैं। संस्थान की संचालिका नीलू बहन ने बताया कि चैतन्य देवियों की झांकियों का आयोजन 22 सिंतबर को नवरात्र के साथ ही प्रारंभ हो चुका है और नवरात्र के सभी नौ दिनों तक सायं 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक इसका नियमित रूप से आयोजन किया जाता रहेगा। उन्होंने बताया कि नवरात्र के मौके पर चैतन्य देवियों की झांकियों के साथ ही केंद्र पर बारह ज्योतिर्लिंगों की स्थापना भी की गई है। श्रद्धालुगण एक साथ सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं।

अज्ञान का प्रतीक है कुंभकर्ण

वहीं केंद्र पर यंत्र चालित कुंभकर्ण की प्रतिमा भी लगाई गई है। जो कि अज्ञान की नींद में सोए हुए मस्तिष्क का प्रतीक है। इसे जगाने के लिए यांत्रिकी के साथ ही लाइट और साउण्ड का समायोजन भी किया गया है। नीलू बहन ने बताया कि आधुनिक होने के बावजूद आज का मानव मन भी कुंभकर्ण की भांति नाना प्रकार की भ्रांतियों से जकड़ा हुआ है। कुंभकर्ण की प्रतिमा को जगाने की प्रक्रिया के माध्यम से अज्ञान के अंधकार में डूबे लोगों को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करने का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया गया है। कुंभकर्ण की प्रतिमा लोगों के लिए कौतूहल का विषय बनी हुई है।

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