कलश यात्रा के साथ नवरात्र पर्व की शुरुआत की गई सैकड़ो की संख्या में महिलाएं बालिकाएं सिर पर कलश लिए निकाली माता रानी की कलश यात्रा

पत्थलगांव। नवरात्र की शुरुआत के साथ ही पूजा पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना कर दी गई है। सोमवार को कलश यात्रा निकाल कर सभी पंडालों में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा संपन्ना की गई। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं व बालिकाएं शामिल हुईं। कलश स्थापना के साथ ही यहां पूजा-अर्चना का दौर भी शुरु हो गया है।
पत्थलगांव में नवरात्र का पर्व प्रतिवर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नगर में जगह-जगह समितियों द्वारा पूजा पंडालों का निर्माण कराकर मां दुर्गा की आराधना की जाती है। इसके लिए पिछले एक महीने से तैयारियां की जा रही थीं। इस वर्ष भी सात स्थानों पर अलग-अलग समितियों द्वारा पूजा पंडालों का निर्माण कराया गया है जिनमें मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं स्थपित की गई हैं। सोमवार को नवरात्र के प्रथम दिवस के अवसर पर सभी पंडालों में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की गई।
सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति बजारपारा जशपुर रोड द्वारा स्थापित पूजा पंडाल में पुरोहित भक्ता महराज के मार्गदर्शन में विधिवत कलश स्थापना की गई तो सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति रायगढ़ रोड में बनारस से आय महाराज के मार्गदर्शन में कलश यात्रा निकली। वहीं पुरोहित भक्ता महराज ने बताया कि माता दुर्गा की प्रतीक नारी शक्ति का उत्सव बताया। उन्होंने कहा कि नारी ज्ञान-ऐश्वर्य-शौर्य की प्रतीक है। आज भी आदर्श भारतीय नारी में तीनों देवियाँ विद्यमान हैं। अपनी संतान को संस्कार देते समय उसका सरस्वती रूप सामने आता है। गृह प्रबन्धन की कुशलता में लक्ष्मी का रूप तथा दुष्टों के अन्याय का प्रतिकार करते समय दुर्गा का रूप प्रकट हो जाता है। अत. किसी भी मंगलकार्य को नारी की अनुपस्थिति में अपूर्ण माना गया है। उन्होंने बताया कि धर्म के क्षेत्र में नारी हमेशा ही अग्रणी रही है। आज नवरात्र के प्रथम दिवस पर कलश यात्रा में महिलाओं ने वर्षा में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। सड़क पर बने में बड़े-बड़े पोखरों में नंगे पैर रिमझिम बारिश में भी कलश यात्रा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना यह बताता है कि नारी के बिना धर्म कर्म की कल्पना व्यर्थ है। नवरात्र में बारिश को उन्होंने देवी के हाथी पर सवार होकर आगमन का संकेत बताया। उन्होंने बताया कि आम तौर पर सिंह को देवी दुर्गा का वाहन माना जाता है परंतु भारतीय पुराणों में अलग-अलग दिनों के हिसाब से देवी के अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आगमन देवी भागवत् में वर्णित है। इसके अनुसार यदि नवरात्र की शुरूआत शनि और मंगल को हो तो देवी घोड़े पर सवार होकर आती हैं वहीं गुरू और शुक्र की स्थिति में डोली में सवार होकर पधारती हैं। बुध को देवी का आगमन नौका पर माना जाता है वहीं रवि और सोम वार को नवरात्रि पड़े तो देवी का आगमन हाथी पर माना जाता है। इस बार रविवार को नवरात्रि प्रारंभ होने के कारण देवी हाथी पर आरूढ़ होकर पधारी हैं। उन्होंने बताया कि देवी के गजरूढा आगमन की स्थिति में भारी वर्षा की स्थिति देवी पुराण में बताई गई है और इस बार के नवरा;त्र में हो रही बारिश देवी पुराण में कही गई बातों के सच होने का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि ऐसी परिस्थिति में कहीं कहीं भारी वर्षा और अत्यधिक बारिश होने की स्थिाति से अन्न हानि भी संभव है।,
सुनील अग्रवाल, कालू मधुबन, प्रदीप ठाकुर ,नवीन आरामेल ,अजय पार्षद ,संतोष भांजा ,मुकेश अग्रवाल ,नवीन , मोहन दादी, बलराम अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, डब्बू ,कपिल ,कान्हा ,सुनील गुप्ता ,आनंद अग्रवाल ,लाल बंसल कान्हा अग्रवाल ,लड्डू ,पडडू, बंटी अग्रवाल, सोनू अग्रवाल, दिनेश उर्फ लगडू ,अग्रवाल टिंकू सामंत, बिल्लू अग्रवाल, नवीन ,बल्लू,टोनी, कृष्ण अग्रवाल, श्रेयस मेडिकल सतीश पवन, अरूण, विक्की,हरशु अग्रवाल, कन्हैया विकास मेडिकल,सहित सभी भक्त महिलाएं मौजूद रहे।